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।।ढलते दिन।। कभी भेंदूँ गगन तीर से कभी उड़ाऊ जहाज

।।ढलते दिन।।

कभी भेंदूँ गगन तीर से
कभी उड़ाऊ जहाज पानी मे
वो भी क्या अपनी दुनियाँ थी
जहाँ पतंगें लूटी भरी दोपहरी में।

सुबह के निकले तो शाम को आये
रोटी नहीं मिली तो समोसा खाये
दबे पाँव से घर मे दस्तक देते
माई कहे बाहर ना जा पापा आये।

वो दिन लद गये अब बड़े हो गये
बीवी ताके है एक आँख लगाये
सब बंद हुआ बाहर का खाना पीना
कभी कुछ बोलो तो भार्या बर्राये।😅 #poem #hindinojoto #afterdays
।।ढलते दिन।।

कभी भेंदूँ गगन तीर से
कभी उड़ाऊ जहाज पानी मे
वो भी क्या अपनी दुनियाँ थी
जहाँ पतंगें लूटी भरी दोपहरी में।

सुबह के निकले तो शाम को आये
रोटी नहीं मिली तो समोसा खाये
दबे पाँव से घर मे दस्तक देते
माई कहे बाहर ना जा पापा आये।

वो दिन लद गये अब बड़े हो गये
बीवी ताके है एक आँख लगाये
सब बंद हुआ बाहर का खाना पीना
कभी कुछ बोलो तो भार्या बर्राये।😅 #poem #hindinojoto #afterdays