Nojoto: Largest Storytelling Platform

जैसें मेरे गज़ल पर आज भी उसका अमीन हो। या खुदा मेरे

जैसें मेरे गज़ल पर आज भी उसका अमीन हो।
या खुदा मेरें पैरों के नीचे मेरे हिस्से की जमीन हो।
तुम्हारे हुस्न-ए-अख़लाक़ की तासीर बता रही हैं जानां,
इस सादगी की चादर में कुड़ी तुम भी बहुत हसीन हो।
हां ये वही दुनिया है जहाँ हमारी हंसी गूँजती थी कभी,
आज किसको खोकर सनम तुम भी हुए गमगीन हो।
बस एक दाढ़ी और मूछ रखने की आदत को छोड़कर,
दुर्गेश तुम भी अब आदमी तो बहुत बेहतरीन हो।
सादर प्रणाम।
🙏🙏🙏🙏🙏

©Durgesh Tiwari..9451125950 sdt 2

#ramleela
जैसें मेरे गज़ल पर आज भी उसका अमीन हो।
या खुदा मेरें पैरों के नीचे मेरे हिस्से की जमीन हो।
तुम्हारे हुस्न-ए-अख़लाक़ की तासीर बता रही हैं जानां,
इस सादगी की चादर में कुड़ी तुम भी बहुत हसीन हो।
हां ये वही दुनिया है जहाँ हमारी हंसी गूँजती थी कभी,
आज किसको खोकर सनम तुम भी हुए गमगीन हो।
बस एक दाढ़ी और मूछ रखने की आदत को छोड़कर,
दुर्गेश तुम भी अब आदमी तो बहुत बेहतरीन हो।
सादर प्रणाम।
🙏🙏🙏🙏🙏

©Durgesh Tiwari..9451125950 sdt 2

#ramleela