गन्ने से मीठे - मधुर संवादों को प्रेमग्रंथ की सूक्तियों के सरल अनुवादों को अथ से अंत तक नया निरूपण देना होगा मैं कवि हूँ , मुझे शब्दों की छैनी से हर क्षण तुम्हें अलग रूपण देना होगा ! तुम्हारी सूनी पावन सिंदूररेखा को आँसुओं के भाप से निर्मित स्याह मेघा को सीप में बंद मोती की भाँति मुकुट में सजाना होगा मैं कवि हूँ , मुझे वेदनाओं की स्याही से हर काव्य उक्ति में गीत कोई तुम्हारा ही लिखना होगा ! सप्तपदी के सात वादों को माथे की बिंदी के सुरीले शंखनादों को रथ बना कृष्ण सा इक सारथी बनना होगा मैं कवि हूँ , मेरे छंदों के बँधन से तुम्हारे विश्वास की हर कोंपल को भी बँधना होगा ! कविता 😊 अथ- शुरुआत निरूपण- परिभाषा रूपण- design #yqbaba #yqdidi #कविताएँज़िंदारहतीहैं