White "अमीरों के महादेव" भक्त वो, जो लाइन में घंटों खड़े रहते हैं, और भक्त वो, जो एसी कमरे में दर्शन करते हैं। महादेव के दरबार में समानता का पाठ पढ़ाया जाता है, पर यहाँ वीआईपी पास से प्रभु के करीब लाया जाता है। प्रशासन कहता है, "सभी के लिए एक नियम है," फिर अमीरों के लिए क्यों अलग सिस्टम है? गरीब का जल घंटों लाइन में रुकता है, और अमीर का जल बिना रोके शिवलिंग तक पहुंचता है। क्या भोलेनाथ ने ये भेदभाव चाहा था? या प्रशासन ने नियमों को अमीरों से बांधा था? क्यों भक्तों की भक्ति का मोल तय होता है, और क्यों नियम अमीरी की ओर झुकता है? महादेव तो सबके हैं, गरीब-अमीर बराबर, फिर क्यों प्रशासन ने बना दिए ये अलग दर? व्यंग यही है कि नियमों का खेल ऐसा है, जहां भक्त, भक्त नहीं, बल्कि "ग्राहक" जैसा है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora #mere_mahadev