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शहर से गाँव जोड़ती सड़कों पर शहर से शहर दौड़ती सड़

शहर से गाँव जोड़ती सड़कों पर
शहर से शहर दौड़ती सड़कों पर
तेज रफ्तार से दौड़ती बसें
आटो, टैक्सी, दुपहिया, चार पहिया वाहन । 

अचानक.....
कहीं थम जाती है रफ्तार
और हो जाते हैं एक
आमजनों में खासजन
खासजनो में आमजन
अपने गंतव्यों की ओर दौड़ते । 

मैं देख नहीं पाता चेहरा । 

पर ......
अचानक थम जाने पर
जब देखता हूँ
सबका एक सा होता है
कुछ व्यग्र-बेचैन सा । 

सोंचने लगता हूँ
क्या ये मंजर बदलेगा कभी ? 

कब तक ये 
पदचाप और भागदौड़ का शोर
गूंजता रहेगा संसद में ? 

क्या खत्म होगी कभी
अधूरी दौड़ मेरे देश की
और पकड़ी जा सकेगी रफ्तार  । 

या.....
यूँ ही जाम, 
यूँ ही घिसट, 
यूँ ही लगा रहेगा एक डर हर वक़्त
इन सड़कों पर 
रेंगते रहने का । 
हर नये दिन ।
शहर से गाँव जोड़ती सड़कों पर
शहर से शहर दौड़ती सड़कों पर
तेज रफ्तार से दौड़ती बसें
आटो, टैक्सी, दुपहिया, चार पहिया वाहन । 

अचानक.....
कहीं थम जाती है रफ्तार
और हो जाते हैं एक
आमजनों में खासजन
खासजनो में आमजन
अपने गंतव्यों की ओर दौड़ते । 

मैं देख नहीं पाता चेहरा । 

पर ......
अचानक थम जाने पर
जब देखता हूँ
सबका एक सा होता है
कुछ व्यग्र-बेचैन सा । 

सोंचने लगता हूँ
क्या ये मंजर बदलेगा कभी ? 

कब तक ये 
पदचाप और भागदौड़ का शोर
गूंजता रहेगा संसद में ? 

क्या खत्म होगी कभी
अधूरी दौड़ मेरे देश की
और पकड़ी जा सकेगी रफ्तार  । 

या.....
यूँ ही जाम, 
यूँ ही घिसट, 
यूँ ही लगा रहेगा एक डर हर वक़्त
इन सड़कों पर 
रेंगते रहने का । 
हर नये दिन ।