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जब भारत को बाँट गई थी वो लाचारी मजहब की |





जब भारत को बाँट गई थी वो लाचारी मजहब की |
 ऐसा ना हो देश जला दे ये चिंगारी मजहब की ||
 

राम नहीं मिलते ईंटों में गारा में
 राम मिलें निर्धन की आँसू-धारा में
 राम मिलें हैं वचन निभाती आयु को
 राम मिले हैं घायल पड़े जटायु को
 राम मिलेंगे अंगद वाले पाँव में
 राम मिले हैं पंचवटी की छाँव में
 
 राम मिलेंगे मर्यादा से जीने में
 राम मिलेंगे बजरंगी के सीने में
 राम मिले हैं वचनबद्ध वनवासों में
 राम मिले हैं केवट के विश्वासों में
 राम मिले अनुसुइया की मानवता को
 राम मिले सीता जैसी पावनता को
 
 राम मिले ममता की माँ कौशल्या को
 राम मिले हैं पत्थर बनी आहिल्या को
 राम नहीं मिलते मंदिर के फेरों में
 राम मिले शबरी के झूठे बेरों में

©Dev Rishi
  #Ramnavami  हरिओम पंवार जी की कविता है
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Dev Rishi

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#Ramnavami हरिओम पंवार जी की कविता है #Poetry

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