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अब घर आने-जाने वाले चले गए मुझको खूब बहकाने वाले च

अब घर आने-जाने वाले चले गए
मुझको खूब बहकाने वाले चले गए
रोज चाय की टूटे प्याली मेरे घर में
खाना पीना करने वाले चले गए

मेरे आंगन में सोने वाले चले गए
बीज प्रेम का बोने वाले चले गए
अब नाखुश सी है घर की दिवारें मेरी
मेरा सपना कंधों पर ढोने वाले चले गए

झूठ की माला जपने वाले चले गए
उनमें से भी कुछ अपने वाले चले गए
मैं घर की बुनियादो में जब जकड़ गया
नाज़ुक से कुछ लपने वाले चले गए

चंद पैसों में बिकने वाले चले गए
स्तम्भ घरों के टिकने वाले चले गए
अच्छा है जो आंगन‌ मेरा खाली है
कुछ मटके घर के चिकने ‌वाले चले गए

©अनुज #mera_shehar #relative #Nojoto #Hindi #poem
अब घर आने-जाने वाले चले गए
मुझको खूब बहकाने वाले चले गए
रोज चाय की टूटे प्याली मेरे घर में
खाना पीना करने वाले चले गए

मेरे आंगन में सोने वाले चले गए
बीज प्रेम का बोने वाले चले गए
अब नाखुश सी है घर की दिवारें मेरी
मेरा सपना कंधों पर ढोने वाले चले गए

झूठ की माला जपने वाले चले गए
उनमें से भी कुछ अपने वाले चले गए
मैं घर की बुनियादो में जब जकड़ गया
नाज़ुक से कुछ लपने वाले चले गए

चंद पैसों में बिकने वाले चले गए
स्तम्भ घरों के टिकने वाले चले गए
अच्छा है जो आंगन‌ मेरा खाली है
कुछ मटके घर के चिकने ‌वाले चले गए

©अनुज #mera_shehar #relative #Nojoto #Hindi #poem