स्वाभिमान को बेच रही है, अब दिल्ली नादानी में बिजली से ये जल जायेगी, बह जायेगी पानी में। अपने ही अंग काँटोगे तो , बाद बहुत पछताओगे। अपनी आजादी कि भीख, इक दिन फिर से माँगोगे। हक का तुमने दमन किया है, किस मुँह से अब चाहोंगे। आज नहीं तो कल तुम सब , जान बचा कर भागोगे।