कोरे कागज पर तुम्हें इस कदर उतार दूं जज्बात-ए-अल्फ़ाज़ से वो शक्ल उभार दूं तेरे संघर्षो को मेरी नजरों से दुनिया देखेगी समर्पण की माटी से शिल्पी बन तूझे संवार दूं ©Sudha Tripathi Vivek..... Yashpal singh gusain badal' अनुज