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ये एक इत्तेफाक था कि मैं अपने गांव में था भागवत क

ये एक इत्तेफाक था कि मैं 
अपने गांव में था
भागवत कथा चल रहा था
स्वभाव के विपरीत मैं वहा था
आदतन सुनता नही मैं
लेकिन गांव है मेरा
प्रवाचक ने शुरू किया
भाई से भाई के बटवारा हो
लेकिन संपत्ति का नही
सवाल था आखिर किसका?
जवाब प्रवाचक का आया
बिपत्ति का बटवारा हो
पता नही क्यो लगा कि
मैं गलत नही हूँ 
जब कि मैं उस वक्त तनाव में था
फिर मैं बीच मे ही चला गया
मजबूत और मजबूत होकर
पास ही अपने स्कूल मैदान
जहा से मैने ककहरा सीखा था
नमन किया उस मंदिर को
यही से हर संस्कार सीखे थे
 मैं भाई से मिलने आया था
उसकी तबियत ठीक नही थी
शायद किसी के लिए ये गलत था
मैं असमंजस में था
लेकिन संतुष्ट हो गया
आज मेरा कथा पंडाल आना
सार्थक हो गया
लगा आना चाहिए कभी कभी
ऐसी जगह शान्ति औऱ हल
दोनों मिल जाते है

©ranjit Kumar rathour
  विपत्ति का बटवारा
#संपत्ति का नही

विपत्ति का बटवारा #संपत्ति का नही #विचार

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