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समझ की चाह कर तो ज़िन्दगी उलझा रहा है तू तुझे हीरे

समझ की चाह कर तो ज़िन्दगी उलझा रहा है तू
 तुझे हीरे दिए कंकड़ समझ लूटा रहा है तू
 सुकूं दिल को मिले वह काम करता जा यहां हर पल
 सिवा शिव के जगत झूठा किसे फिर पा रहा है तू

©Narendra Pareek
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