दुःख संताप से त्रस्त था मन, तुम सुकून का रंग लेकर आए हों टूट गए थे जो खुशी की वीणा के तार जोड़ उनको तुम लाए हो पतझड़ था, जीवन मेरा तुम बिन, बन बसंत 'प्रेम' तुम लाए हो फागुन महीना प्रेम का, रंगहीन रूह में 'प्रेम' रंग तुम बरसाये हो लेखन संगी #rzलेखकसमूह #rztask274 #restzone #manishapatel #YourQuoteAndMine Collaborating with Manisha Patel