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_*मन की गाँठे खोलें,सदा सरल बने,किसी से बैर न रखें

_*मन की गाँठे खोलें,सदा सरल बने,किसी से बैर न रखें!
*_आप मनुष्य जाति जैसी उत्तम योनि मे है,मनुष्य सर्वश्रेष्ठ और विवेकवान प्राणी होता है,सामाजिक सदभाव और प्रेम् प्यार मानव का श्रेष्ठ गुण है !जीवन में अपने अधिकांश परिवारजनों से हमारा वर्ष में दो-चार बार ही मिलना हो पाता है। और जो स्थानीय नहीं हैं उनसे हम पूरे जीवन में कितनी बार मिल सकेंगे, इसकी बड़ी ही सरलता से गिनती की जा सकती है। फिर किसी से भी मन में बैर क्यों? कोई भी बात या वैचारिक मत, भिन्नता छोटी-बड़ी हो, गाँठ समय पर खोल लेनी चाहिए। हम जहां भी जन्म लेते हैं या जिनसे हम रिश्तों में जुड़ते हैं। यदि इस छोटी सी जीवन-यात्रा में हम अपनों से भी न निभा पाए तो इसे हमारी अपरिपक्वता, अयोग्यता और असफलता  ही माना जाएगा। हम अहंकार-दोष से मुक्त जीवन नहीं जी पाएंगे।

©Andy Mann
  #मनकहे_अनकही