इतना गुरूर, घमंड, पैसा लेकर कहां जाओगे, जहां जलता हैं हर इंसान, उसी शमशान में जला दिऐ जाओगे, मरनें के बाद कोई नहीं पुछेगा मर्जी तुम्हारी, चार कंधों पर जाओगे और उसी शमशान में जला दिऐ जाओगे, मंज़िल तो सबकी शमशान ही होती हैं बस ज़िंदगी गुज़र जाती हैं जाते जाते,