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दोहा :- इधर उधर की बात से , बढ़ा रहे हो बात । बोलो

दोहा :-

इधर उधर की बात से , बढ़ा रहे हो बात ।
बोलो मन की बात तो , करे प्रेम शुरुआत ।।१

थाम लिया हमने सुनो , उनका देखो हाथ ।
आज दुआ करता यही , बना रहे यह साथ ।।२

करो नही अब प्रेम की , इतनी सारी बात ।
ढ़लने को है अब सजन , देखो काली रात ।।३

उनसे होगी एक दिन , मन के अपनी बात ।
करूँ दुआ मैं ईश से , ढ़ले न उस दिन रात ।।४

रिमझिम-रिमझिम फिर वही , होगी सुन बरसात ।
होगी उनसे जब कभी  , सुनो यह मुलाकात ।।५

०५/१०/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR इधर उधर की बात से , बढ़ा रहे हो बात ।

बोलो मन की बात तो , करे प्रेम शुरुआत ।।१


थाम लिया हमने सुनो , उनका देखो हाथ ।

आज दुआ करता यही , बना रहे यह साथ ।।२
दोहा :-

इधर उधर की बात से , बढ़ा रहे हो बात ।
बोलो मन की बात तो , करे प्रेम शुरुआत ।।१

थाम लिया हमने सुनो , उनका देखो हाथ ।
आज दुआ करता यही , बना रहे यह साथ ।।२

करो नही अब प्रेम की , इतनी सारी बात ।
ढ़लने को है अब सजन , देखो काली रात ।।३

उनसे होगी एक दिन , मन के अपनी बात ।
करूँ दुआ मैं ईश से , ढ़ले न उस दिन रात ।।४

रिमझिम-रिमझिम फिर वही , होगी सुन बरसात ।
होगी उनसे जब कभी  , सुनो यह मुलाकात ।।५

०५/१०/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR इधर उधर की बात से , बढ़ा रहे हो बात ।

बोलो मन की बात तो , करे प्रेम शुरुआत ।।१


थाम लिया हमने सुनो , उनका देखो हाथ ।

आज दुआ करता यही , बना रहे यह साथ ।।२

इधर उधर की बात से , बढ़ा रहे हो बात । बोलो मन की बात तो , करे प्रेम शुरुआत ।।१ थाम लिया हमने सुनो , उनका देखो हाथ । आज दुआ करता यही , बना रहे यह साथ ।।२ #कविता