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समझदारी का तमगा समझदारी से लगा कर उसने मुझको किना

समझदारी का तमगा समझदारी से लगा कर उसने  मुझको किनारा कर दिया 
दम भरते थे जो मोहब्बत का कल तक आज किसी और को सहारा कर लिया

कुछ भी चाहा नहीं  मोहब्बत और इज़्ज़त के सिवा कभी मगर ये भी न दे सके 
रब की मर्ज़ी  समझ  हमने अब उसकी हर  एक  रुसवाई को ग़वारा कर लिया

©Madhu Jha समझदारी का तमगा समझदारी से

#dusk
समझदारी का तमगा समझदारी से लगा कर उसने  मुझको किनारा कर दिया 
दम भरते थे जो मोहब्बत का कल तक आज किसी और को सहारा कर लिया

कुछ भी चाहा नहीं  मोहब्बत और इज़्ज़त के सिवा कभी मगर ये भी न दे सके 
रब की मर्ज़ी  समझ  हमने अब उसकी हर  एक  रुसवाई को ग़वारा कर लिया

©Madhu Jha समझदारी का तमगा समझदारी से

#dusk
madhujha2257

Madhu Jha

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