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madhujha2257
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Madhu Jha

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Madhu Jha

मैंने तो मतलब कभी सोचा ही नहीं 
बेमतलब सा इश्क़ किये जा रही थी तुमसे 
तुम समझदार हो समझदारी से काम लेते हो
मैं सब नासमझी में किये जा रही थी तुमसे

©Madhu Jha बेमतलब#का#इश्क़

#Rose

बेमतलबकाइश्क़ #Rose #ज़िन्दगी

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Madhu Jha

माना  ज़िन्दगी  बेहद हसीन है
खुशियों  से  हर  पल  रंगीन है 

हर  रिश्ते  के  रंगों  से  सजी ये
मगर  दोस्त  बिना ये  रंगहीन है

इनके दम से  रौनकें  ज़िन्दगी में
ये न हो तो हर शय कांतिहीन है

मायूसियों के  हर पल बाँट लेते 
इसके  बग़ैर  जीवन  ग़मगीन है 

रंग-जात,न मजहब न उम्र देखे
ये रखते  हमेशा  ताज़ातरीन हैं

दोस्तों के बिना भी क्या ज़िन्दगी
सब कुछ फ़िजूल व अर्थहीन है

जिनके मुक़द्दर में हों दोस्त ऐसे
उसे जीवन में खुशियाँ अंतहीन है

©Madhu Jha
  दोस्त#दोस्त#दोस्त#शायरी ग़ज़ल
दोस्ती#का#दिन#मुबारक#हो
Happy friendship day😊🍫

दोस्तदोस्तदोस्त#शायरी ग़ज़ल दोस्तीकादिनमुबारकहो Happy friendship day😊🍫

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Madhu Jha

रोज नये तरीक़े ढूंढ कर मुझको सताना 
शायद ये है उसका मुझसे दूर जाने का बहाना

©Madhu Jha
  रोज#नए#बहाने#ढूंढना
शायरी#गजल#मन#के#भाव

रोजनएबहानेढूंढना शायरीगजलमनकेभाव

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Madhu Jha

तू उदास  है अगर  तो मैं  मुस्कुराऊँ कैसे 
दूरियों का  इश्क़ है इसे  मैं  जताऊं कैसे

तुम्हारा दर्द ले लूँ तो तसल्ली हो दिल को
मगर दूर हूँ तुमसे  गले से मैं  लगाऊँ कैसे

हैं बेड़ियां  पांव में रस्म -ओ -रिवाज़ों की 
चाहूँ भी तो तुम तक  पहुंच मैं पाऊं कैसे

हथेलियों में फ़कत तेरा  नाम सजा तो लूँ
बाक़ी  लकीरों को  मगर मैं  मिटाऊं कैसे

तुझसे दूर होकर ये ज़िंदगी है  एक सज़ा  
तेरे बिन जीने का मिजाज़ मैं बनाऊं कैसे

मुद्दतों बाद मिले हो तुम मुझको ऐ सनम
चेहरे की ये रंगत  सबसे मैं  छुपाऊं कैसे 

तुम्हारी मोहब्बत मेरा साज-ओ-श्रृंगार है 
कि बिन इसके खुद को  मैं सजाऊं कैसे

तेरे बगैर जीने से तो मौत ही बेहतर मगर 
तुझे तन्हा छोड़के गुज़र भी मैं जाऊं कैसे

©Madhu Jha तू अगर उदास होगा मैं मुस्कुराऊँ कैसे

#LateNight

तू अगर उदास होगा मैं मुस्कुराऊँ कैसे #LateNight #शायरी

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Madhu Jha

तू उदास  है अगर  तो मैं  मुस्कुराऊँ कैसे 
दूरियों का  इश्क़ है इसे  मैं  जताऊं कैसे

तुम्हारा दर्द ले लूँ तो तसल्ली हो दिल को
मगर दूर हूँ तुमसे  गले से मैं  लगाऊँ कैसे

हैं बेड़ियां  पांव में रस्म -ओ -रिवाज़ों की 
चाहूँ भी तो तुम तक  पहुंच मैं पाऊं कैसे

हथेलियों में फ़कत तेरा  नाम सजा तो लूँ
बाक़ी  लकीरों को  मगर मैं  मिटाऊं कैसे

तुझसे दूर होकर ये ज़िंदगी है  एक सज़ा  
तेरे बिन जीने का मिजाज़ मैं बनाऊं कैसे

मुद्दतों बाद मिले हो तुम मुझको ऐ सनम
चेहरे की ये रंगत  सबसे मैं  छुपाऊं कैसे 

तुम्हारी मोहब्बत मेरा साज-ओ-श्रृंगार है 
कि बिन इसके खुद को  मैं सजाऊं कैसे

तेरे बगैर जीने से तो मौत ही बेहतर मगर 
तुझे तन्हा छोड़के गुज़र भी मैं जाऊं कैसे

©Madhu Jha
  तू उदास है अगर,मैं मुस्कुराऊँ कैसे

तू उदास है अगर,मैं मुस्कुराऊँ कैसे #शायरी

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Madhu Jha

एक दिन  तुमसे जुदा हो जाएंगे
न जाने किस जहाँ में खो जाएंगे
फ़िर लाख पुकारोगे तुम हमको
हम कभी  तुम्हें नजर  न आएंगे

थक जाओगे तुम ढूंढ-ढूंढ कर
देखोगे अक्सर फोन खोलकर
न कोई  ताज़ी तस्वीर  हमारी 
न पैगाम कोई भी नजर आएंगे

जी भर कह लो जो कहना है
इन आँखों की आदत तो बहना है
ऐसा  आएगा वक़्त  भी  जब 
चाहकरभी हम कुछ न कर पाएंगे

जब  ये  रिश्ता  छूट  जाएगा
फ़िर कौन  किसको  मनाएगा
बेशक़ तब याद बहुत आएंगे हम
मगर तेरे गले कभी न लग पाएंगे

©Madhu Jha
  एक दिन जुदा हो जाएँगे

एक दिन जुदा हो जाएँगे #ज़िन्दगी

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Madhu Jha


मेरे हाथों में तेरे नाम की लकीरें शामिल नहीं
हाँ,,उजड़ा  दरख़्त हूँ मैं  किसी  काबिल नहीं

क्यों छांव ढूंढता है तू इस वीरान दोपहरी में 
तपिश के सिवा कुछ भी होगा हासिल नहीं

©Madhu Jha
  हाथों#में#तेरे#नाम#की#लकीरें#नहीं

हाथोंमेंतेरेनामकीलकीरेंनहीं #ज़िन्दगी

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Madhu Jha

दुरियों का  इश्क़  है  ये  क्या करें
कैसे अपनी मजबूरियां बयां  करें
यूँ तो  फ़ासला नहीं  दिल में कोई
सिर्फ़ ज़माना है दरमियां क्या करें

©Madhu Jha
  दुरियों#का#इश्क़#और#मजबूरियां

दुरियोंकाइश्क़औरमजबूरियां #लव

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Madhu Jha

जाने  कितने  अफ़साने  कह गए  ये सुर्ख़  गुलाब
प्यार-मोहब्बत ही नहीं दे गए बेरुख़ी भी बेहिसाब

©Madhu Jha
  सुर्ख़ गुलाब के किससे

सुर्ख़ गुलाब के किससे #लव

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Madhu Jha

जाकर आने  का इरादा  तो नहीं था मगर कुछ बातें इरादों के वश में नहीं होती
ज़िन्दगी में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब सही-ग़लत की समझ भी नहीं होती

©Madhu Jha
  इरादा तो नहीं था

इरादा तो नहीं था #विचार

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