हो गई मोहब्बत , तो क्या? देख चेहरा उसका, थोडी मुस्कान आई। नजरे झुकाई देख , फिर क्यू शर्माई। हर रोज का मिलना नजरो का, उसमे आँखो का कसूर क्या? हो गई मोहब्बत , तो क्या? उस चाँद का नूर, उसपे ता छाया। जब देखा आईने मै , तुने खुद को, तो आईंना भी शर्माया। देख ऐसे हसीन चेहरे को , मोहब्बत हो जाय तो, उसमे इस दिल का कसूर क्या? हो गई मोहब्बत , तो क्या?