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प्रिये सावन में तुम बरिस बन कर आना, बहती हँवा में

प्रिये सावन में तुम बरिस बन कर आना,
बहती हँवा में शीतलता समा कर आना .....
क्षण क्षण बदल रही हवा दिशा अपनी ,
 प्रिय भूल नहीं तुम मुझको जाना....

नहीं वह हसीन अब वो राते, जिसमें थी बातें झूलती, 
झूल- झूल कर होती थी मतवाली रातें .......
याद तुम्हारी जब आती है, 
पुनः घूम कर आता है ताना बाना.....

माना पहले वाला बहारें रहा नहीं अब, 
बदल गया है संसार हमारा अब .....
रंग रूप का इठलाना इतराना रहा अब नहीं, 
सुनहरी हवा सा मन दिखता नहीं .......

अब न सावन झूला झूलते ,
न कोयल कोई गीत सुनाती....
 सुनो न , फिर जेहन में घुलने का ढूंढ लो बहाना,
 प्रिये कहना नहीं , करना नहीं मूसलाधार बारिश का बहाना .......

अब रात क्या दिन भी लगता अंधेरा,
 तुम नहीं ,हर पहर में लगता व्याकुल मन....
 तिनका तिनका मन रसिया जल रहा, 
प्रिय मेरी ,भूल गई प्रीत की कसमें क्या निभानी .......

समय हर समय बदल रही धूप की छवि में ,
प्रिये भूला नहीं तुम्हारा मोहक मुस्कुराना ..... 
हर छन हर रंग बिखेड़ना दिल के कैनवास में,
प्रिये अबकी सावन में तुम फिर आ जाना.....


#निशीथ

©Nisheeth pandey
  प्रिये सावन में तुम बरिस बन कर आना,

बहती हँवा में शीतलता समा कर आना .....

क्षण क्षण बदल रही हवा दिशा अपनी ,

 प्रिय भूल नहीं तुम मुझको जाना....

प्रिये सावन में तुम बरिस बन कर आना, बहती हँवा में शीतलता समा कर आना ..... क्षण क्षण बदल रही हवा दिशा अपनी ,  प्रिय भूल नहीं तुम मुझको जाना.... #कविता #baarish #sparsh #talaash #Streaks #Chhuan #निशीथ #Baagh #Parchhai #BehtaLamha #ChaltiHawaa #BehtiHawaa

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