पसन्द है अब मुझे अक्सर पसीने में भीग जाना, ये उससे बेहतर है कि अकेले में तेरी याद आना, कभी गम से फुर्सत मिले तो आंऊ तेरे सामने पसन्द नहीं मुझे तेरे सामने यूँ झूठ का मुस्कुराना, तुझे पसन्द होंगे मेरे अलावा गैर भी मुझे नहीं, जब सबसे दिल भर जाए तो वापस चले आना, तेरे चले जाने से कुछ न बदला शिवाय मेरे, यूँ हुआ जैसे फूल जाते ही भंवरों का चला जाना, जिसकी मौजूदगी में पत्थर को मिशाल दी जाती थी, तेरे बिना कैसे मुमकिन था उस शख्स को बदल पाना। Sir... बेहतर है कि अकेले में तेरी याद आए।