संस्कृतं मम जीवनध्येयम् आढ्यो वापि दरिद्रो वा दु:खित: सुखितोऽपि वा। निर्दोषो वा सदोषो वा वयस्य: परमा गति:।। चाहे धनी हो या निर्धन, दुःखी हो या सुखी, निर्दोष हो या सदोष - मित्र ही मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा होता है । Source- किष्किन्धाकाण्ड अष्टम सर्ग ©Pallavi Goel आढ्यो वापि दरिद्रो वा दु:खित: सुखितोऽपि वा। निर्दोषो वा सदोषो वा वयस्य: परमा गति:।। चाहे धनी हो या निर्धन, दुःखी हो या सुखी, निर्दोष हो या सदोष - मित्र ही मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा होता है । Source- किष्किन्धाकाण्ड अष्टम सर्ग #FriendshipDay #International_friendship_day