मन भेद और मत भेद के पचड़े में पर लोग आजाद हो कर भी जंजीरों में बंधे लोग। कुछ कह भड़ास निकालते, कुछ चुटकी ले खुद को मासूम मानते, कुछ पीठ पीछे वार डालते। आजाद भारत की ये तस्वीर निराली है। शब्दो के कटाक्ष हर मन पर भारी है। ये कैसी आज़ादी, ये कैसी देशभक्ति है। भ्रम में जी रहे, और भ्रम में ही मर जाएंगे। इन सारी संकीर्ण विचारो से, आने वाले पीढ़ी को भी विरासत में यही दे जाएंगे। #आज़ादी_के_मायने