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पथ पर धूल की धुंध उठ रही और हवाओं मे आंधी अपना ज़

पथ पर धूल की धुंध  उठ रही और हवाओं मे  आंधी
अपना ज़ोर आज़मा रही
लेकिन मन मे साहस  और तन की त्वरा  मे कोई
कमी नहीं रही
अब तुम ही बताओ मे मैं इन आँधियो से
क्यो डरू?

मैं तों उड़ता रहूंगा  कर्मक्षेत्र के विस्तृत वातायन मे
रवि ने भी तों झाका है फिर से और मेरे लिए नए सवेरे भी वो लाता  रहेगा. इसका  आश्वासन भी दिया है 
इसिलए मैं आश्वासत हूँ की मेरे  जीवन की गति निर्बाध रूप से चलती रहेगी.. भले ही जीवन का धरातल समतल हो या उबड़ खाबड़

©Parasram Arora आश्वासन
पथ पर धूल की धुंध  उठ रही और हवाओं मे  आंधी
अपना ज़ोर आज़मा रही
लेकिन मन मे साहस  और तन की त्वरा  मे कोई
कमी नहीं रही
अब तुम ही बताओ मे मैं इन आँधियो से
क्यो डरू?

मैं तों उड़ता रहूंगा  कर्मक्षेत्र के विस्तृत वातायन मे
रवि ने भी तों झाका है फिर से और मेरे लिए नए सवेरे भी वो लाता  रहेगा. इसका  आश्वासन भी दिया है 
इसिलए मैं आश्वासत हूँ की मेरे  जीवन की गति निर्बाध रूप से चलती रहेगी.. भले ही जीवन का धरातल समतल हो या उबड़ खाबड़

©Parasram Arora आश्वासन