Nojoto: Largest Storytelling Platform

ना जाने खुद से इतनी नफरत क्यों हो गई है कहां हंसी

ना जाने खुद से इतनी नफरत क्यों हो गई है 
कहां हंसी मेरी खो गई है
दिल में दर्द जुबां है खामोश मेरी
क्यों हवा यह टकरा के मुझसे गीली सी हो गई है
क्यों लगे सुहाना मुझे सदा के लिए सो जाना 
क्यों अपनी सांसों से तकलीफ हो गई है
क्यों अपने ही तुझे गैर कर देते है इस तरह
क्या ऐसी क्या तुझसे भूल हो गई है
माना हूं जुबान का कड़वा सहने की है कमी मुझमें
लेकिन दिल का नही हूं बुरा लिखवा के ले लो तुम
माना कई दफा जुबां से गलती चाहे हो गई है
वस ख्वाइश है मेरी जल्द से जल्द रब से मिलने की
मेरी यहीं ख्वाइश में देरी क्यों हो रही है
ना जाने खुद से इतनी नफरत क्यों हो गई है 
कहां हंसी मेरी खो गई है.....

©Satish Kumar
  #बेदर्द सांसे 😊
#sadpoetry #sad_feeling #sad_emotional_shayries #Poet #पोएट्री #poetcommunity  gudiya Rakesh Srivastava pehu Balihar Sekhon Anita Mishra