सौ के भीड़ में खड़े होने से अच्छा अकेले हो जाऊ, लोगों के चेहरा पढ़ने से अच्छा खुद में खो जाऊ॥ कौन अपना कौन पराया है ये जानना बहुत ही मुश्किल है, क्योंकि......, एक एक के चेहरे पर साजिशों को जो नकाब चढ़ा हैं॥ ©p k #dilchahtahai