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خدا एक गुमनाम सी पहचान रखना चाहूंगा भुखे हक़ में द

خدا एक गुमनाम सी पहचान रखना चाहूंगा
भुखे हक़ में दस्तरखान रखना चाहूंगा
करता रहूं इमदाद हर जरूरत मंदो की
इसी खातिर खुला दलान रखना चाहूंगा 

कोई ताकत मुझे ईमान से हिला न सके
ऐसा मैं साहिबे ईमान रखना चाहूंगा
मुझे दे हिम्मत रहूं मैं इंसाफ पसंद इंसा
उमर जैसा अदल का मान रखना चाहूंगा

उल्फत, अमन, उजाला, इल्म, खुशी
जहां हो ऐसा ये अरमान रखना चाहूंगा 
यहीं इल्तिज़ा है मेरी खुदा कबूल करें
हाजत जान हो मेरी कुर्बान रखना चाहूंगा

©सबरे 'सब्र'
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