दर्द में वो आराम दे गया एक खुशनुमा शाम दे गया तिरछी नजरों से जालिम वो कुर्बत का पैगाम दे गया अपनी आँखों की जादू से प्यासे को वो ज़ाम दे गया हिज्र से पीड़ित मन को मेरे वस्ल का वो ईनाम दे गया बिखरे टूटे सपनों को वो फिर से इक आयाम दे गया ©Madhusudan Shrivastava दे गया #sagarkinare