थोड़ा तुम अब ढ़लने की आदत डालो अंगारों पर चलने की आदत डालो.. जहां रौशन करने का है शौक़ तुमको तो चरागों सा जलने की आदत डालो.. कांटों में ही मिलते हैं गुलाब भी तुम कांटों में पलने की आदत डालो.. हर मुश्किल में मौका छुपा होता है बस नज़रिया बदलने की आदत डालो.. खुद का सहारा खुद ही बनो तुम चलो अब संभलने की आदत डालो.. थोड़ा तुम अब ढ़लने की आदत डालो... बाग़ी... ©Manish Bhardwaj Bas aviiiiiiiiin 22Oye *