शाएर को मस्त करती है तारीफ़-ए-शेर 'अमीर' सौ बोतलों का नश्शा है इस वाह वाह में अमीर मीनाई जी का एक शेर याद आया। सोचा कि शायद सब लोग इसी वाह की खोज में अपने को अच्छा भी बना सकते है और बिगाड़ भी सकते । जिस तरह शायद कोई बड़ा खिलाड़ी हर मैच नही जीत सकता उसी तरह मैं ,आप हम शायद हमेशा , हर बाद उतना अच्छा न लिख पाएं जो जायज भी है। और हम तो उस काबिलयत के 1 % भी नहीं है अभी। 30 likes aur 20 comments के साथ लगता है जैसे हमने रेख़्ता पे पढ़ दिया। कितने ही लोग ऐसे आते है हमारी प्रोफाइल पे जो 1 minute में हमारी 10 रचनायों की like कर के जाते है। मेरे को ये गिला हमेशा रहता है काश वो एक पढ़ते पर अच्छे से और कुछ अच्छा/ बुरा सुझाव कभी कभी दे जाते। पर हाँ लिखना ज़रूरी है बशर्ते हम उस से 4 गुना 6 गुना पढ़ रहे है और अगर सीख रहे है तो। नहीं शायद हम अपने बुने हुए लफ़्ज़ों में ही क़ैद हो कर रह जाएंगे। #yqdidi #yqhindi