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अधूरा सा लिखा है कुछ, तुम पूरा पढ़ना, ना जाने कब


अधूरा सा लिखा है कुछ, तुम पूरा पढ़ना,
ना जाने कब प्यार भरी तुम्हारी,नजर धुंधला जाए ।

कमजोर है इसे आहिस्ता से खींचो,
ना जाने किस मोड़, विश्वास की ये डोर टूट जाए।

में लफ्ज़ कहूंगा ,तुम मेरी खामोशी सुनना
ना जाने कब मेरे ये ,अहसास सो जाए ।

आज ज़िंदा हूं,तो सुन लो मेरे "अल्फ़ाज़",
 ना जाने फिर किस घड़ी ,मेरी आवाज खो जाए । ना जाने ।

अधूरा सा लिखा है कुछ, तुम पूरा पढ़ना,
ना जाने कब प्यार भरी तुम्हारी,नजर धुंधला जाए ।

कमजोर है इसे आहिस्ता से खींचो,
ना जाने किस मोड़, विश्वास की ये डोर टूट जाए।

में लफ्ज़ कहूंगा ,तुम मेरी खामोशी सुनना
ना जाने कब मेरे ये ,अहसास सो जाए ।

आज ज़िंदा हूं,तो सुन लो मेरे "अल्फ़ाज़",
 ना जाने फिर किस घड़ी ,मेरी आवाज खो जाए । ना जाने ।