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फूल हुए कागज के भी बदरंग तड़प लिए विचलित हुआ ये म

फूल हुए कागज के भी बदरंग 
तड़प लिए विचलित हुआ ये मन,,, 

ह्रदय के ताल भी सुखे सुखे से
तुझ बिन ये मौसम फीके फीके से,,, 

तरसती निगाहों में अब प्रेम भर दो
आकर पास कुछ खास सृजन कर दो,,, 

हो जाए पुलकित प्रिय मेरा मन
कर दो तुम बस इतना सा ही जतन,,,

©rajeshwari Thakur
  #जतन