हाँ मुझे श्रृंगार पसंद है... (पूरी कविता अनुशीर्षक मे ज़रूर पढ़ें 🙏) हाँ, मुझे श्रृंगार पसंद है गले मे हार पसंद है पायलो की झंकार पसंद है इच्छा यही की जब से था बचपन हाथो मे कंगन चूड़ियों की खनखन