वो बाद बरसों के घर को आया ,कसक सारी निकली, पत्थर से पत्थर टकराया जब जब तो चिंगारी निकली, मैं सोचता था वो मेरी बर्बादी से नावाक़िफ़ है, मुझको ख़तम करने वालों से उसकी ही यारी निकली, हर इक गली के लड़के पड़ें हैं उसी के पीछे यूं, जैसे शहर में हो नौकरी कोई सरकारी निकली, मैंने बहुत कोशिश की कि उसको निकालूं दिल से अपने, वो तो ना निकली पर मेरी ये जान हर बारी निकली, क्या है छिपा इन नेताओं के इन लिबासों में जाने, देखा हटाकर के, सबसे पहले तो मक्कारी निकली, ये हादसा मेरे साथ होगा कभी सोचा ना था, था पेड़ उसके हिस्से, मेरे हिस्से में आरी निकली, पर कौन आया वापस बिछड़ के जो वो फिर आएगी मेरी यही इक ये बात जो सबको नागवारी निकली - वो फिर आएगी #इश्क़ #ग़ज़ल #love #nojoto #nojotohindi #वोफिरआएगी #Ghazal