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सजल ~~~~~ हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये है

सजल
~~~~~

हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं।
बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।।

सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में।
समझ न पाया मर्म कोई भी, अपलाप नये हैं।।

बर्बाद हुए हैं दिवस सबके सब, सुहाने सबके।
बिन आँसूओं रोना पड़ता है, अनुताप नये हैं।।

झुलसा हुआ है देश बहुत, नफरत के बारूद में।
खून बहा है अनुरागी जन का, हृदय ताप नये हैं।।

उरुताप जलाती है तन को, दहन हुआ हो जैसे।
आँखें अंगारे बरसाती हैं, आपधाप नये हैं।।

उजड़ा हुआ है सब कुछ, है उजड़ी सारी विरासत।
सौदागर का अब जोर चला है, अभिशाप नये हैं।।

दवा दर्द की कोई करता नहीं, हो वैद्य नूतन।
कर लिया स्वीकार है पीड़ा को, उल्लाप नये हैं।।

@ गोपाल 'सौम्य सरल'


       







 
सजल
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हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं।
बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।।

सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में।
सजल
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हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं।
बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।।

सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में।
समझ न पाया मर्म कोई भी, अपलाप नये हैं।।

बर्बाद हुए हैं दिवस सबके सब, सुहाने सबके।
बिन आँसूओं रोना पड़ता है, अनुताप नये हैं।।

झुलसा हुआ है देश बहुत, नफरत के बारूद में।
खून बहा है अनुरागी जन का, हृदय ताप नये हैं।।

उरुताप जलाती है तन को, दहन हुआ हो जैसे।
आँखें अंगारे बरसाती हैं, आपधाप नये हैं।।

उजड़ा हुआ है सब कुछ, है उजड़ी सारी विरासत।
सौदागर का अब जोर चला है, अभिशाप नये हैं।।

दवा दर्द की कोई करता नहीं, हो वैद्य नूतन।
कर लिया स्वीकार है पीड़ा को, उल्लाप नये हैं।।

@ गोपाल 'सौम्य सरल'


       







 
सजल
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हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं।
बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।।

सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में।

सजल ~~~~~ हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं। बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।। सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में। #yqdidi #जिन्दगी #जिंदगी_का_सच #कोराकाग़ज़ #glal