कि हूँ नाराज ,मनाने आओगी क्या! मुद्दत से नही सोया हूँ, सुलाने आओगी क्या!! सुबह सुबह चूड़ियों की खन-ख़न से मुझे जागाओगी क्या!! फिर तुम्हारे हाथो की बनी ,चाय पिलाओगी क्या!! ज़िंदगी जीने का तरीका ,फिर से सिखाओगी क्या!! हाथों को पकड़ कर,मोह्हब्बत जताओगी क्या! सिरहाने अपने हाथों की तकिया लगाओगी क्या!! बाहों में टूट कर अब,सिमट जाओगी क्या!! कानों को फिर से,वो घण्टी वाले झुमके पहनाओगी क्या!! मोह्हब्बत में बहुत तड़प होती है,सबको बताओगी क्या!! कि हूँ नाराज ,मनाने आओगी क्या! ❤️ ©पूर्वार्थ #सूकून #प्रीत