बैचैनिया बढ़ने लगे जब,बात भी होती नहीं, तेरे बिना सूना जहां जब, साथ भी होती नहीं। दिन ये कटे ना रात भी ये,नैन भी बरसा करे। पल एक सदियों सा जब बीते चैन को तरसा करे। कोई आहट आती नहीं आवाज़ भी होती नहीं, बैचैनिया बढ़ने लगे जब बात भी होती नहीं। घुन में मगन,लगती लगन इक नाम ही गूंजा करे। माने नहीं जाने नहीं दिल,काम ना दूजा करे। बातो बिना दिन भी न गुजरा,रात भी होती नहीं। बैचैनिया बढ़ने लगे जब बात भी होती नहीं। जाने तुझे माने तुझे पर तू जुदा होती गई, खुशियां सभी मिलती कहां,किस्मत खफा होती गई। कांधे रखे सर हम चले,इफरात भी होती नहीं। बैचैनिया बढ़ने लगे जब बात भी होती नहीं। #बैचैनी