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kumaarkikalamse
बैचैनी में, मैं ना मिलने वाला चैन ढूँढ रहा हूँ, तस्वीर हाथ में लेकर, तेरे बोलते नैन ढूँढ रहा हूँ! #kumaarsthought #chain #बैचैनी
Kisalay Shukla
तुम्हारी बहुत याद आती है समय समय पर सताती है क्यों चली गई घाव देकर बहुत दुख है तुम्हे खोकर ऐसा क्यों लगता कि तुम आती हो अपनी आहत को सुना कर चली जाती हो वो तुम्हारा आना जाना मेरे अंदर ही अंदर घुटना तुम्हे अच्छा लगता है ? तुम चली गई उस जगह पर जहां से कोई आता नही लौटकर मैं सोचता हूं हटा दूँ तेरी याद पहले तुम जाओ तो मुझे छोड़कर तुम मुझे क्यों नही समझती हो अपनो की यादें ,सपनो की बाते किसे अच्छा नही लगता यादें कड़वी भी है सहन कर लेता हूँ अब गुजारिश है तुमसे ऐसे ना यादों में आया करो ऐसे ना सपनो में रुलाया करो सहन नही कर पाता हूं अंदर ही अंदर टूट सा जाता हूँ अंदर ही अंदर टूट सा जाता हूँ #yqdidi#dedicated#sister#ydbaba #अपने #कड़वी_सच्चाई #बैचैनी
Shivendra Gupta 'शिव'
#बैचैनी हम मनुष्यों में बैचैनी का होना एक सामान्य बात है, क्योंकि हम पैदा हो दो लोगो की बैचैनी से हुए हैं, बैचैनी ही एक ऐसी चीज है जो हमें सुकून से कुछ नहीं करने देती है।। ये हमें न तो सही से सोने देती है, ना जागते हुए किसी कार्य को करने देती है, बैचैनी किसी भी तरह की हो सकती है, किसी काम की बैचैनी, किसी से मिलने की, किसी से कुछ कहने की, कुछ हासिल करने की, हर किसी के पास बैचैनी है इस संसार में किसी न किसी बात की।। और ये बैचैनी व्यक्ति को हमेशा ही व्याकुल रखती हैं, जिस कारणवश वो कभी भी किसी कार्य में अपना सर्वश्रेष्ठ नही दे पाता है, और हमेशा जीवन में परेशान होता है, इस लिए हमें इस बैचैनी से पीछा छुड़ाने के उपाय ढूंढने चाहिए, और वो होना तब संभव है।। जब हम अपनी प्रबल इच्छा के साथ के साथ करना चाहे, और वो एक कार्य सबसे कठिन कार्यों में से एक है, हमारी प्रबल इच्छा क्योंकि मन तो चंचल प्रवृति का है, और उसे काबू में करना मुश्किल होता है, पर हां जो व्यक्ति मन को काबू कर ले, वो व्यक्ति ही इन अपनी बैचेनियो को पूर्ण विराम लगा सकता है।। ©Shivendra Gupta 'शिव' #udas
OMG INDIA WORLD
#मोहब्बत बेचकर मैंने #दर्द खरीदा, दर्द बेचकर खरीदी #बैचैनी, बैचैनी बेचा तो आ गई #उदासी उदासी बेचा तो रह गया #तनहा ©OMG INDIA WORLD #मोहब्बत बेचकर मैंने #दर्द खरीदा, दर्द बेचकर खरीदी #बैचैनी, बैचैनी बेचा तो आ गई #उदासी उदासी बेचा तो रह गया #तनहा #OMGINDIAWORLD
संजीव निगम अनाम
बैचैनिया बढ़ने लगे जब,बात भी होती नहीं, तेरे बिना सूना जहां जब, साथ भी होती नहीं। दिन ये कटे ना रात भी ये,नैन भी बरसा करे। पल एक सदियों सा जब बीते चैन को तरसा करे। कोई आहट आती नहीं आवाज़ भी होती नहीं, बैचैनिया बढ़ने लगे जब बात भी होती नहीं। घुन में मगन,लगती लगन इक नाम ही गूंजा करे। माने नहीं जाने नहीं दिल,काम ना दूजा करे। बातो बिना दिन भी न गुजरा,रात भी होती नहीं। बैचैनिया बढ़ने लगे जब बात भी होती नहीं। जाने तुझे माने तुझे पर तू जुदा होती गई, खुशियां सभी मिलती कहां,किस्मत खफा होती गई। कांधे रखे सर हम चले,इफरात भी होती नहीं। बैचैनिया बढ़ने लगे जब बात भी होती नहीं। #बैचैनी
संजीव निगम अनाम
लकीरें खिच गई इतनी,मिटाए मिट नहीं पाती, तड़प के हम यूं रह जाते,बैचैनी रुक नहीं पाती। भला कैसे बता तुझको, कहे जो हम पे गुजरे है, खिलाड़ी बन गई किस्मत,वफ़ा पर झुक नहीं पाती। संजीव निगम "अनाम" #बैचैनी
Shivani SiNgh
ये रात को एक बैचैनी सी उठती है, आंखे नम रूह सहम सी जाती है , फिर एक जंग सी होती है खुद से, अपनी हालात और सपने के बीच, ये जंग कुछ इस हद तक तोड़ती है, मन तो करता है बस आज ये सन्नाटा तोड़ दू, और अंदर चल रहे कोहराम को बाहर ला दू, फ़िर ये चीख फिर अंदर दब जाती है , एक नफरत सी होती है ...... ये कुछ हजार सवाल लाती है, मन को झंझोर जाती है , ये सपने के लिए बैचैनी जरूरत से ज्यादा तोड़ जाती है, ये ना जाने कितनी रात की नींद ले जाती है, ये जंग से हार फिर ये आंख कुछ पल सुकून की नींद पाती है !!!!! ये हजार सवाल फिर दब के रह जाती है! #सपने#निंड#बैचैनी#हालत#upsc#lbsnaa#nojoto
Savin Kandhil
🕯️आत्महत्या🕯️ क्या है आत्महत्या! बहती नदी का बहाव रोकना उजले सूरज का ढल जाना पतझड़ में पत्तों का गिरना मन में बैचैनी हो जाना क्या ये है आत्महत्या?? नहीं, बिल्कुल नहीं! बहती नदी में बहाव जरूर आएगा ढले सूरज का सवेरा जरूर आएगा पतझड़ के बाद बारिश का मौसम आएगा मन में बैचैनी मत कर दोस्त, हौसला रख ये वक़्त बदलता है, बदल जाएगा तेरा भी वक़्त आएगा। तेरा भी वक़्त आएगा। #Love #suicide_prevention_day
Parul Sharma
सफेद है मुस्कान आईना काला है सकूनँ सो रहा है वारदातों का बोलबाला है रात के आँगन में कहीं खामोखी है कहीं सन्नाटा है नींद में है उजाला जो दिन का रखवाला है रात के आँगन में माँ का आँचल हैं बाप का साया हैं बच्चों की थकी शरारतों की लोरियों भरी संगीतशाला है रात के आँगन में हाँ रात सूकूँ भी है, बैचैनी भी है दुख भी है सुख भी है रात एक रहस्य है जहाँ धरती पर भी सितारे (रात्री में खिलने वाले फूल) और आँसमाँ पर भी रात एक समानता है जहाँ सिर्फ सफेद रंग ही चमकता है खिलता है काले रंग के इर्द गिर्द काले रंग से घिरा बिना किसी अंतरद्वद के रात के आँगन में रहस्यगहराया रात के आँगन में पारुल शर्मा रात के आँगन में #सफेद है #मुस्कान #आईना #काला है #सकूनँ सो रहा है #वारदातों का #बोलबाला है #रात के #आँगन में कहीं #खामोखी है कहीं #सन्नाटा है