"तेरी मेरी राह " एक राह हैं बहुत लम्बी,, तेरे प्रेम तक पहुंचने की... और मेरी राह अलग हैं, पर मुझे तेरी ओर खींच ले आती हैं,,,, दिन-प्रतिदिन सोचता ही रहता हैं, कि क्या सच में कोई अजनबी मेरी ही नज़रों में अपनों से बढ़कर हो सकता हैं | पर! तेरे दर पर आकर ही तुझसे महोब्बत हो जाती हैं... और सम्पूर्ण जगत में तू ही बस मेरा अपना हैं,, ये अहसास करवा जाता हैं | तेरी साँवली-सी सुरत मेरे मन के तार को हर-वक्त स्पर्श कर अपने ही करीब ले आती हैं | और ये पागल-सा मन तेरे ही पास चले आने की जिद्द करने लगता हैं | गीता शर्मा प्रणय # तेरी मेरी राह