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दिल में ख्वाहिशें तो हजार थी पर जिम्मेदारियों की

दिल में ख्वाहिशें तो हजार थी
 पर जिम्मेदारियों की भी अपनी अलग कतार थी
 उड़ना चाहा मैंने खुले आसमान में
 पर जिंदगी के पिंजरे की बहुत मोटी तार थी
 तोड़कर पिंजरा एक दिन उड़ जाऊंगा 
और अपनी मंजिल पाने की खातिर 
समुद्र पर भी पुल बनाऊंगा।।

©Ashish Khare
  #kwahise