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रचना दिनांक १,,,७,,,२०२३ वार ् समय दोप १,,३०, ््शी

रचना दिनांक १,,,७,,,२०२३
वार ्
समय दोप १,,३०,
््शीर्षक ्््
दिल के दरवाजे पर दस्तक देती हुई घटनाओं से बेहद,, संजीदगी से कायल है।
चंद लम्हों की सौगात जाने कब प्रेम का जाम बन जाय।।
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दिल के दरवाजे पर दस्तक देती हुई घटनाओं से
बेहद संजीदगी से कायल है।
चंद लम्हों की सौगात जाने कब प्रेम का जाम पिलाएं तो बड़े अदब से वो लफ्जो का पैमाना जो जाम पिलाएं।।
खनकते जाम नशे में चूर कुछ यादों की तन्हाइयों में
गमजदा हुए ख्याल जब सवाल जब जिंदगी की हकीकत
के दौर मे।।
वो माशूका बनकर जाम पिलाएं जा रही है हम सच्चे प्रेमी
दिल की बारिकियों से कशीश में जलकर।।
वो तूफान जीवन की पाठशाला कार्यशाला ज्ञानशा
ला में
मयखाना में सुरीले सूरो में वो नशे की रात की रौशनी में
जूगनूओ को चिरागे ऐ रौशनी प्रज्जवलित कर हमें अपने मकसद में कामयाब हो प्यारा सा चुम्बन से अपनी रूह को परखना चाहती है।।
दीप बनकर दिलों के आशियाने में खो गई तस्वीर तुम्हारी
अदभूद रश्मि प्रभा की यादों में खो गई।
परिणीती समय रहते हुए जीवन में एक जीवंत कलाकृति बन गई।।
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््लकवि शैलेंद्र आनंद ्््
१८जुलाई २०२३






हो प्यारा सा चुम्बन से अपनी रूह को परखना चाहती है दीप बनकर दिलों के आशियाने में खो गई तस्वीर तुम्हारी,,
अदभूद रश्मि प्रभा जी की यादों में खो गई परिणीती समय रहते हुए जीवन में एक जीवंत कलाकृति बन गई।।

©Shailendra Anand
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