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जारी हैं जंग मेरे अंदर मुझको मुझसे बेहतर बनाने की,

जारी हैं जंग मेरे अंदर मुझको मुझसे बेहतर बनाने की,
छोड़ पाऊं ये आदत लड़खड़ाने की इसकी कोशिश जारी है ।
बनाया आदत दिए मौके बहुत लोगों को जिंदगी में आने को,
अब रह गया हूं अकेला जिंदगी से लड़ने को,
जारी हैं जंग मेरे अंदर मुझको मुझसे बेहतर बनाने की,
छोड़ पाऊं ये आदत लड़खड़ाने की इसकी कोशिश जारी है ।
जब तक सफलता थी साथ मेरे  सारा जहां खड़ा था साथ मेरे,
 मिली ठोकर तो मालूम हुआ अकेला हूं कोई ना खड़ा साथ मेरे,
मैने जाते देखा है दूर सभी को जो कभी दिल में रहते थे अपनों की तरह,
डगमगाई कश्ती जो मेरी जिंदगी की छोड़ गए बिखरा हुआ मुझे मेरी जगह ,
जारी हैं जंग मेरे अंदर मुझको मुझसे बेहतर बनाने की,
छोड़ पाऊं ये आदत लड़खड़ाने की इसकी कोशिश जारी है।
जो झेला मैंने वो तुम ना सहन कर पाओगे,
खुद की नजरों में खुद को कैसे गिरता देख पाओगे,
बीत गया वो समय दिखा गए अब अपने रंग जाते जाते,
सीख गया मैं दुनिया को दूसरा मौका आते आते ,
जारी हैं जंग मेरे अंदर मुझको मुझसे बेहतर बनाने की,
छोड़ पाऊं ये आदत लड़खड़ाने की इसकी कोशिश जारी है।
अब मिला है दूसरा मौका तो खुद को निखारने की कोशिश जारी है,
दोष वाले लोग बहुत कमाए अब दोस्त कमाने की बारी है,
बहुत दुख दे चुका मैं अपने मां बाप को,
अब उनके 1 दुख के बदले हजार खुशियों की लाइन बाकी है,
ए खुदा रखना सीधी नजर बस मेहनत का काम मेरा जारी है,
दुआ देना मुझे तुम हर जख्म पर जो मलहम की तरह असरकारी है,
जारी हैं जंग मेरे अंदर मुझको मुझसे बेहतर बनाने की,
छोड़ पाऊं ये आदत लड़खड़ाने की इसकी कोशिश जारी है।

©Prashant kumar
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