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गीता और कुरआन पर मोटीपरत धूल की चढ़ चुकी है किस

गीता और  कुरआन पर  मोटीपरत धूल की चढ़  चुकी है
किस कदर  धर्म  और ग्रंथो की धज़्ज़ीयां उड़ रही है

कई बार लगा चुके है हम  आग कभी मस्जिदों  मे कभी शिवालों मे
इबादत तो  केवल  दिखावे  की  हो  रही है

हर तरफ खून खराबा  फरेब और  जालसज़ी  हो रही है
ये  दुश्मनी भी हमें न जाने  क्या क्या रंग. दिखा रही है

ज़ो जवाब  हमने दिए... अच्छे  लगे थे जिंदगी को
फिर क्यों  जिंदगी की  रोज नए नए   सवाल पूछने की
आदत जा नहीं  रही है

हमे  जरूरत थीं  एक  अच्छी साफ सुंदर  जिंदगी की 
पर ज़ो मिली - बदरंग है वो  ईतनी कि  हमें आँख 
बंद करने की जरूरत पड़ रही है

©Parasram Arora धूल......
गीता और  कुरआन पर  मोटीपरत धूल की चढ़  चुकी है
किस कदर  धर्म  और ग्रंथो की धज़्ज़ीयां उड़ रही है

कई बार लगा चुके है हम  आग कभी मस्जिदों  मे कभी शिवालों मे
इबादत तो  केवल  दिखावे  की  हो  रही है

हर तरफ खून खराबा  फरेब और  जालसज़ी  हो रही है
ये  दुश्मनी भी हमें न जाने  क्या क्या रंग. दिखा रही है

ज़ो जवाब  हमने दिए... अच्छे  लगे थे जिंदगी को
फिर क्यों  जिंदगी की  रोज नए नए   सवाल पूछने की
आदत जा नहीं  रही है

हमे  जरूरत थीं  एक  अच्छी साफ सुंदर  जिंदगी की 
पर ज़ो मिली - बदरंग है वो  ईतनी कि  हमें आँख 
बंद करने की जरूरत पड़ रही है

©Parasram Arora धूल......