माया छाया एक सी, बिरला जानै कोय । भगता के पीछे फिरै , सनमुख भाजै सोय ।। धन सम्पत्ति रूपी माया और व्यक्ति की छाया को एक समान जानो । इनके रहस्य को विरला ज्ञानी ही जानता है । ये दोनों किसी की पकड़ में नहीं आती । इन दोनों चीजोँ से परे भागने वालों के पीछे पीछे अनुसरण करती हैं और इन दोनों को पकड़ने को भागने वालों के आगे आगे भागती है।कहा भी है--- बिनमांगेे मोती मील मांगे मीले न भीख माया =छाया एक समान