आज भी ख्वाबों में मंज़र वो सताता है मुझे
वाकेआ वो बारहा क्यों याद आता है मुझे
काम की मसरूफियत में दिन तो कटता है मेरा
शाम ढलते ही मगर ग़म खुद बुलाता है मुझे
संगदिल बनने की ख़्वाहिश पालता हूं मैं मगर
दर्द ये आंसू हमेशा दे ही जाता है मुझे #ghazal#nojotovideo