उसे किसी और से इश्क़ करने का मशवरा चाहिए ऐ दिल तुझे मरने को और कितना ज़लज़ला चाहिए इतना बेशर्म है तू या तू मजबूर है एक रोशनी बुझाने को और कितनी हवा चाहिए ये कैसी ज़िद उसके सुकून बाहोँ में सोने की वो सुकून अब ज़िंदा या मरा चाहिए उसके लबों की ज़ुनबिश और लब्जो का बहाव मुझे महबूब तो चाहिए मगर गूंगा चाहिए धूप में सर्द सुख़न देने वाला तेरा दुपट्टा मुझे क्या पता था मुझे भी कभी छाता चाहिए ये तो तुम्हारे इश्क़ के उसूलों के खिलाफ हो रहा नहीं नहीं मुझे तो अब धोखा चाहिए -(क्षत्रियंकेश) छाता!