White शान्त बैठा है सुलगता मन, चाँदनी से भर गया आँगन, दर्द से राहत मिली मन को, कोई आकर मल गया चंदन, जब उगा दिनमान के जैसा, रौशनी से भर गया प्रांगण, चमकता नभ में सितारों सा, बहारें करती चरण वंदन, गर्व करता राष्ट्र का गौरव, है तुम्हारा सतत अभिनंदन, ज्ञान है अनमोल जीवन में, नमक बिन फीका है व्यंजन, खिल गई है कली बगिया में, भ्रमर का मनुहार है 'गुंजन', --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ•प्र• ©Shashi Bhushan Mishra #चाँदनी से भर गया आँगन#