होती है मुझको हैरानी, जलन नहीं है प्रेम निशानी, जिसने बांटे प्यार जगत में, दुनिया है उसकी दीवानी, राजा-रानी परियों वाली, हमने भी है सुनी कहानी, झूठ बेचने निकला था वो, हुआ शर्म से पानी-पानी, वर्षों बाद मिला था कोई, सूरत थी जानी पहचानी, मंज़िल दूर नहीं है उनसे, चलने की जिसने है ठानी, पानी प्यास बुझाता 'गुंजन', पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी#