भीना भीना खुश्बुदार प्रेम कितना तरल शीतल और सरल है .....ऊर्जा उसकी असीम और त्वरा अनंत. है ...... जो सरणव्यापक सर्वकालिक है ...जो मंगलदायी और सुखदायी है तभी तो जिंदगी नाम का चूल्हा हर दम धधकता रहा .,और संतोष की रोटी मिलती रही ताउम्र ............ महकता हुआ प्रेम