अब पीछे मुड़ने की , बस आगे बढ़ते चलना है उस मंज़िल की ओर , जिसका मुकाम कुछ चंद क़दमो पर आगे खड़ा इंतज़ार कर रहा है , उस मंज़िल को पाना है , और आसमान की ऊँचाई को छूना है ।। निराशा से हम भाग नहीं सकते और भागना भी नहीं चाहिए। निराशा को व्यक्त कर देने से मन पर छाए काले बादल छँट जाते हैं और स्थिति साफ़ हो जाती है। डर से निजात मिलता है। आज अपने मन में गहरे बस चुकी निराशा को काग़ज़ पर आने दें। #collab करें #yqdidi के साथ। #उम्मीदतोनहीं ... हिंदी साहित्य प्रेमी फ़ॉलो करें YQ Sahitya #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi