कल कि फ़िक्र में आज को जिया हि नहीं.. कल कहेंगे ये सोच कर आज कुछ कहा हि नहीं , ज़हन में काफी़ कुछ बाँध रखा कि कल रिहा करेंगे.. अश्क़ो को अहमियत हि नहीं दि आज कि कल मुस्कुरा लिया करेंगे.. फिर कल होगा जो आज सा हो जाएगा , तुम फिर खोजोगे़ उस कल को , जो फिर आज बन कर आएगा.. तो फिर कल पर छोड़ी गई कुछ चीजें आज हि कर लेते हैं.. सब कह देते हैं , सब कर जाते हैं जिस मंजिल को कल पहोंचना था वहाँ आज हो आते हैं, जहऩ पर लिखी कहानियाँ अपने किरदार की , जो कल ज़लाने वाले थे.. कहीं पानी में चल आज नावँ बना आते हैं , चलो, कल को आज कर आते हैं । ©purvarth #आज_कल